रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं, जानिए इसके पीछे की पौराणिक महत्व

Why rakhi is celebrated Every Year: बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने की कसम खाता है. रक्षा बंधन आमतौर पर श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस साल रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त शनिवार को है.

Raksha Bandhan 2025: इस साल रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त शनिवार को मनाया जा रहा है. भारत में रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित होता है. यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो हर साल जुलाई या अगस्त में पड़ता है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उसके लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती हैं. बदले में भाई उन्हें उपहार देता है और जीवनभर रक्षा का वचन निभाने का संकल्प लेता है.

त्योहार का व्यापक महत्व

त्योहार का व्यापक महत्व

रक्षाबंधन का महत्व केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं है. यह पर्व उस हर रिश्ते और भावना का प्रतीक बन गया है जिसमें सुरक्षा, प्रेम, विश्वास और अपनापन शामिल हो. यही वजह है कि यह पर्व सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद खास माना जाता है.

पौराणिक और ऐतिहासिक प्रसंग

पौराणिक और ऐतिहासिक प्रसंग

  • कृष्ण और द्रौपदी: महाभारत में वर्णित है कि एक बार श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनके हाथ पर बांध दी थी. तब श्रीकृष्ण ने उसे जीवनभर रक्षा का वचन दिया.
  • रानी कर्णावती और हुमायूं: इतिहास में बताया जाता है कि रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर मदद मांगी थी. हुमायूं ने उस रक्षाबंधन की लाज रखते हुए उनकी रक्षा की.
  • यम और यमुनाः मान्यता है कि यमराज ने यमुनाजी से वादा किया था कि रक्षाबंधन मनाने वाले भाई-बहन को मृत्यु का भय नहीं सताएगा.
आध्यात्मिक पहलू

आध्यात्मिक पहलू

रक्षाबंधन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवनमूल्य है—जो प्रेम, त्याग, और भरोसे को दर्शाता है. यह पर्व हमें सिखाता है कि रिश्तों को सहेजना, निभाना और समय पर साथ देना सबसे बड़ी सामाजिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी है. रक्षाबंधन सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि एक ऐसा बंधन है जो दिलों को जोड़ता है और भारतीय संस्कृति की आत्मा को जीवंत करता है.

रक्षाबंधन का गूढ़ अर्थ: भावनाओं से बंधा एक पवित्र पर्व

रक्षाबंधन का गूढ़ अर्थ: भावनाओं से बंधा एक पवित्र पर्व

‘रक्षा’ यानी सुरक्षा और ‘बंधन’ यानी संबंध — रक्षाबंधन में ये दोनों भावनाएं गहराई से जुड़ी होती हैं। राखी केवल एक रेशमी धागा नहीं, बल्कि यह उस विश्वास की डोर है जो दो दिलों को जोड़ती है। जब बहन राखी बांधती है, तो उसके साथ चलती है उसकी दुआ — भाई के अच्छे स्वास्थ्य, सफलता और हर संकट से बचाव की। वहीं भाई भी वचन देता है कि वह हमेशा अपनी बहन के साथ खड़ा रहेगा, चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों न हो.

श्रीकृष्ण और द्रौपदी की अमर कथा

श्रीकृष्ण और द्रौपदी की अमर कथा

कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगी थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनका घाव बांध दिया। इस भाव से भावुक होकर श्रीकृष्ण ने वचन दिया कि वे हर हाल में उसकी रक्षा करेंगे। महाभारत के चीरहरण प्रसंग में उन्होंने यह वादा निभाया भी.

यम और यमुनाजी की कथा

यम और यमुनाजी की कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, यमुनाजी ने यमराज को राखी बांधी थी और उनकी लंबी उम्र की कामना की थी। इस भाव से प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें अमरता का वरदान दिया| यह कथा इस पर्व के गहरे आध्यात्मिक महत्व को दर्शाती है.

Raksha Bandhan 2025 Date & Time

Raksha Bandhan 2025 Date & Time

रक्षाबंधन 2025 कि तिथि एवं मुहूर्त

Raksha Bandhan Kab hai, 2025 date, shubh muhurat: Raksha Bandhan Kab hai, 2025 date, shubh muhurat: जानिए रक्षाबंधन कब मनाया जाएगा, राखी बांधने का शुभ समय कितने घंटे रहेगा और इस खास अवसर पर किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है. पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधने की परंपरा है, इसलिए सही समय की जानकारी बेहद जरूरी है.

रक्षाबंधन 2025 को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि यह पर्व 8 अगस्त को मनाया जाएगा या 9 अगस्त को. आइए जानते हैं पंचांग के अनुसार इसकी सही तिथि और कारण:

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  • श्रावण पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त 2025, दोपहर 2:12 बजे
  • श्रावण पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2025, दोपहर 1:24 बजे

पंचांग के अनुसार, उदया तिथि यानी जिस दिन सूर्योदय के समय पूर्णिमा हो, उसी दिन रक्षाबंधन मनाया जाता है. इस आधार पर रक्षाबंधन 2025 की सही तिथि 9 अगस्त, शनिवार को रहेगी. इसी दिन राखी बांधने और भाई-बहन के प्रेम का उत्सव पूरे देश में मनाया जाएगा.

भद्रा काल में न बांधें राखी

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, भद्रा काल को अशुभ माना गया है और इस समय किसी भी शुभ कार्य से परहेज़ करना चाहिए। इसलिए राखी भद्रा समाप्त होने के बाद ही बांधनी चाहिए, ताकि शुभता बनी रहे.

रक्षाबंधन का सांस्कृतिक महत्व

रक्षाबंधन का सांस्कृतिक महत्व

(Cultural Significance of Raksha Bandhan)

रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के प्रेम का पर्व नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व भी गहरा है. इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा की कामना के साथ-साथ परिवार और समाज की समृद्धि व सुरक्षा की भी प्रार्थना करती हैं. कई जगहों पर पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक स्वरूप पेड़ों को राखी बांधी जाती है, वहीं बहनें सैनिकों को राखी भेजकर उनका सम्मान करती हैं. कुछ स्थानों पर गुरु, मित्र या अन्य प्रियजनों को भी राखी बांधने की परंपरा निभाई जाती है.